कोरोना वायरस- अग्रिम आदेश तक स्थगित हुआ पूर्णागिरी मेला

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कोरोना वायरस को देखते हुए पूर्णागिरि मेले को शासन ने अग्रिम आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। इस अवधि में पूर्णागिरि धाम में श्रद्धालुओं की आवाजाही पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। जिला प्रशासन के फैसले पर राज्य सरकार ने मुहर लगाते हुए इस संबंध का आदेश जारी किया है। मेले में हर रोज देश-विदेश के हजारों भक्त पहुंचते हैं।यह पहला मौका है जब पूणागिरि मेले पर रोक लगी है। 

पूर्णागिरि मेला इस बार 11 मार्च से शुरू हुआ था लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए छह दिन बाद ही मेले पर रोक लगानी पड़ी है। सोमवार को जिलाधिकारी एसएन पांडेय, एडीएम टीएस मर्तोलिया और एसपी लोकेश्वर सिंह ने यहां पर्यटक आवास गृह में मंदिर समिति के पदाधिकारियों और अन्य के साथ बैठक में मेले को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके बाद इसे राज्य सरकार को भेजा था। देर शाम सरकार ने मेले पर रोक के आदेश जारी कर दिए। 

जिलाधिकारी ने बताया कि हालात को देखते हुए आगे का फैसला लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि मेले पर रोक की सूचना उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के जिलाधिकारियों और नेपाल सरकार को भी भेजी गई है। ताकि वहां से आने वाले श्रद्धालुओं को मेले में आने से रोका जा सके। साथ ही चंपावत जिले की सीमा पर बैरिकेडिंग लगाकर लोगों को रोका जाएगा.डीएम एसएन पांडेय ने बताया कि हर सप्ताह मेले को लेकर समीक्षा की जाएगी। कोरोना का संक्रमण कम होने पर शासन को स्थिति से अवगत कराते हुए मेला शुरू करने की सिफारिश की जाएगी।
 11 मार्च से शुरू हुए मेले को जिला प्रशासन ने बीच में ही कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर रोक दिया गया है। इस मेले में देश के विभिन्न क्षेत्रों से मेला देखने के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं. यह उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला माना जाता है. मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं. मां पूर्णागिरि धाम 51 शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि यहां मां सती की नाभी गिरी थी।

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