इस मुद्दे पर सरकार पर बरसे किशोर उपाध्याय, हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच की उठाई माँग

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कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व वनाधिकार आंदोलन के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने कहा कि कुम्भ मेला 2021 के आयोजन में भारी अव्यवस्थाएं व्याप्त हैं। उन्होंने मांग कि  की कुम्भ में पैसों की बंदरबांट की हाई कोर्ट के सिटिंग जज से जांच होनी चाहिए।
उपाध्याय आज हरिद्वार दौरे पर थे। उन्होंने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि उन्होंने आज तक कुम्भ अर्धकुम्भ मेलों के आयोजन में ऐसी दुर्दशा नहीं देखी। सरकारी नाकामी के कारण संतो और अफसरों में मारपीट की नौबत आ गयी है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की केंद्र सरकार ने 2010 में कुम्भ आयोजन के लिए राज्य को 745 करोड़ दिए थे और अब डबल इंजन की सरकार ने सिर्फ 405 करोड़ ...। और उसमें से 325 करोड़ तो 31 मार्च को अवमुक्त किये हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि इतने विलंब से जारी हुआ पैसा कहां खर्च होगा।
किशोर ने कहा कि अतिथि सत्कार सनातन संस्कृति रही है लेकिन ये सरकार गंगा भक्तों को बॉर्डर से लौटा रही है।
सरकार कोरोना का बहाना बनाकर यहां के व्यापारियों, होटल कारोबारियों व स्थानीय लोगों के पेट पर लात मार रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने मुख्यमंत्री बदलकर कुम्भ में व्याप्त अव्यवथाओं पर मोहर लगा दी है।
किशोर ने कहा कि वनाधिकार आंदोलन के साथी 18 अप्रैल को सभी संतो से मिलकर माँ गंगा, उतराखंडियत और राज्य के लोगों को वनाधिकार दिलाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों पर दबाव बनाने का आग्रह करेंगे।
वनाधिकार आंदोलन पर उपाध्याय ने कहा की सभी राज्य वासियों को प्रति माह एक रसोई गैस सिलेंडर, बिजली-पानी निशुल्क दिया जाय।
परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी दी जाय व केन्द्र सरकार की सेवाओं में आरक्षण दिया जाय।
साथ ही एक आवास बनाने के लिये लकड़ी, बजरी व पत्थर निशुल्क दिया जाय।
उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों से जन हानि पर 25 लाख रू क्षतिपूर्ति व परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी व फसल के नुक़सान पर 5000 रू प्रतिनालि क्षतिपूर्ति दी जाय। जड़ी-बूटियों पर स्थानीय समुदाय का अधिकार हो।

 

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