ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतें सरकार द्वारा सामूहिक हत्याएं हैं- किशोर

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 “हर मरीज़ है-सरकार की ज़िम्मेदारी”इसी नारे के साथ धरने पर बैठते हुये वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता और सूबे के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि सरकारें अपने कर्तव्य का निर्वहन बिल्कुल नहीं कर पा रही हैं।मरीज़ ऑक्सिजन के बिना एक-एक साँस के लिये तड़प रहा है, दम तोड़ रहा है। अस्पतालों में न ऑक्सिजन है, न दवा है और न बेड हैं।ऑक्सिजन की कमी से अस्पतालों में जो मर रहे हैं, यह सरकार द्वारा की जा रही सामूहिक हत्यायें हैं।
अस्पतालों में स्टाफ़ की भारी कमी है और अगर स्टाफ़ है भी तो, 10-12 हज़ार रूपये के लिये कौन अपनी जान जोखिम में डालेगा?
बकौल किशोर सरकार के पास दवाइयाँ हैं नहीं और जो हैं भी घटिया हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उपलब्ध मानव संसाधन का भी सही उपयोग नहीं कर रही है। इस समय ज़रूरत थी, मेडिकल और पैरा मेडिकल के क्षेत्र के ख़ाली बैठे हाथों को तुरन्त नियोजित कर काम पर लगाया जाता, पब्लिक और प्राइवेट क्षेत्र के सभी प्रशिक्षित, मिलिटरी और पैरा मिलिटरी के प्रशिक्षित हाथों को बीमारी को रोकने व मरीज़ों को बचाने में लगाने की आवश्यकता थी, लेकिन सरकारें सो रही हैं।
सोशल मीडिया ऑक्सिजन, ventilator और अस्पतालों में बेड की माँग से भरा पड़ा है।
उपाध्याय ने मांग की कि राज्य सरकार तुरन्त हर ज़िले में एक dedicated नंबर चलाये, जिससे अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, टेस्ट, दवाइयों और एम्बुलेंस की सही जानकारी मिले।
पर्वतीय क्षेत्रों में ICU, स्वास्थ्य व्यवस्था, PPE किट आदि तुरंत उपलब्ध कराये ।
मज़दूरों, ग़रीबों, सीमान्त किसानों और महिलाओं को आर्थिक सहायता और निशुल्क राशन दिया जाये।
पानी, बिजली के बिल माफ़ हों व एक सिलिंडर रसोई गैस हर माह निशुल्क दी जाय।
राज्य के हर गरीब व अत्यन्त निम्न मध्य वर्गीय परिवार को रू. 7000/- प्रतिमाह आर्थिक सहायता दी जाय।
राज्य में वनाधिकार क़ानून-2006 लागू किया जाय और यहाँ के निवासियों के वनों पर पर पुश्तैनी हक़-हकूक व अधिकार बहाल किये जायँ।
पर्वतीय क्षेत्र में अस्पतालों की स्थिति बहुत ख़राब है, 
अत: वहाँ से आने वाले मरीज़ों के लिये हल्द्वानी, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून के अस्पतालों में कुछ बेड आरक्षित किये जाने की भी कॉंग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने मांग की।

 

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