क्या कभी सुधरेगी पहाड़ की सेहत ? DRDO वैज्ञानिक की पत्नी चढ़ी बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की भेंट

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उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के तमाम दावे किए जाते हों लेकिन हकीकत इसके एकदम उलट है। 
आलम ये है कि एक और प्रसूता लचर सिस्टम के आगे ज़िन्दगी की जंग हार गई। मृतका  डीआरडीओ के वैज्ञानिक की पत्नी है।
मामला पिथौरागढ़ ज़िले का है। इस मामले को लेकर बुधवार को पिथौरागढ़ में एनएसयूआई ने कार्यकर्ताओं ने सरकार का पुतला भी फूंका।
 जानकारी के मुताबिक नैनी-सैनी की रहने वाली काव्या गर्भवती थी।सोमवार को उसे प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन उसे जिला महिला अस्पताल लेकर गए। यहां डॉक्टरों ने उसे भर्ती कर लिया ।
ऑपरेशन के बाद काव्या ने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया, लेकिन डिलीवरी के कुछ देर बाद ही उसकी तबियत बिगड़ गई।इसके बाद डॉक्टरों ने सोमवार शाम 5 बजे उसे हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया, लेकिन दन्या के पास काव्या ने दम तोड़ दिया।
काव्या की मौत से जहां परिवार में कोहराम मचा हुआ है, वहीं जिले के एकमात्र महिला अस्पताल की व्यवस्थाओं पर भी सवाल उठ रहे हैं. काव्या के पति नीरज सिंह महर डीआरडीओ देहरादून में वैज्ञानिक हैं। 
जिला अस्पताल के पीएमएस डॉ केसी भट्ट के मुताबिक डिलीवरी के बाद महिला का यूरीन आउटपुट बंद हो गया था।इस कारण किडनी ने काम करना बंद कर दिया नेफ्रोलॉजिस्ट का इंतजाम न होने पर सर्जन और अन्य चिकित्सकों की सलाह पर महिला को हायर सेंटर रेफर करना पड़ा, लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गयी।

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