यही है सियासत -बीजेपी से 6 साल के लिए निष्कासित चैंपियन को 13 महीने में मिली माफी

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अनुशासनहीनता के कारण बीजेपी से निष्कासित खानपुर विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन की घर वापसी हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने इसकी पुष्टि की है। वहीं देशराज कर्णवाल को भी माफ कर दिया गया है।
दोनों पर लगे आरोपों पर रविवार को चैंपियन और कर्णवाल का पक्ष सुनने के बाद प्रदेश अध्यक्ष ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया। चैंपियन की 13 महीने बाद हुई पार्टी में वापसी हुई है।  
चैंपियन ने अपनी गलतियों पर खेद जताते हुए कहा कि वह फिर इस तरह की गलती नहीं करेंगे। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने विधायक चैंपियन के घर वापसी की घोषणा करते हुए कहा कि बीजेपी के किसी भी विधायक को अपनी हद पार करने की अनुमति नहीं है। पार्टी का हर विधायक जनता का सेवक है और जनता की सेवा ही करता रहेगा।
बता दें कि भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में चार विवादित विधायकों का मसला उठा। जिस पर कुछ सदस्यों ने चिंता जाहिर की। उनका मत था विधायकों की गुस्ताखियों और हरकतों की वजह से पार्टी और सरकार की छवि प्रभावित हो रही है। विधायकों को कड़ा संदेश देने पर जोर दिया गया।

इसलिए निकाले गए थे प्रणव सिंह चैंपियन .....
उत्तराखंड के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी, तमंचा लहराने, बीजेपी के विधायक देशराज कर्णवाल के साथ खुलकर सामने आए मतभेद और पत्रकार के साथ गाली-गलौज करने के मामले में पार्टी ने चैंपियन को करीब 1 साल पहले बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

चैंपियन का राजनीतिक सफर 

साल 2002 में कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन हरिद्वार जिले की लक्सर विधानसभा सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव जीते और तब नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार को उन्होंने समर्थन दिया था। फिर साल 2007 और 2012 का चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की। साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद लक्सर सीट का अस्तित्व खत्म हो गया था, जिसके बाद उन्होंने खानपुर सीट से चुनाव लड़ा और अपना परचम फहराया। फिर  मार्च 2016 में चैंपियन ने हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत कर दी और भाजपा का दामन थाम लिया। 

18 साल से ज्यादा का है राजनीतिक करियर 
कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन विधायक के रूप में अपने 18 साल से ज्यादा के राजनीतिक करियर में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में रह चुके हैं। कांग्रेस में रहते हुए भी वह विवादों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते थे और पार्टी के लिए परेशानी का सबब बनते रहते थे। हालांकि, यह अलग बात है कि कांग्रेस कभी उनके खिलाफ कभी सख्त कदम उठाने का साहस नहीं कर पाई।

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