क्या प्रीतम सिंह को भारी पड़ेगी ये गलती ...

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11 नवम्बर वो तारीख जब देश के पहले शिक्षा मंत्री भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म हुआ। वही मौलाना अबुल कलाम आजाद जो अखिल भारतीय कांग्रेस के सबसे युवा अध्यक्ष रहे। 
लेकिन विडम्बना देखिए स्वतंत्रता आंदोलन के मुख्य किरदारों में से एक कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व शिक्षा मंत्री जिनकी जयंती को यूं तो राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है वहीं उत्तराखंड कांग्रेस ने अपने इस नेता को बिल्कुल भुला दिया।
हर छोटी से छोटी बात पर फोटो खिंचाने को आतुर कांग्रेसी अपने पूर्व अध्यक्ष को उनकी जयंती पर दो फूल भी अर्पित न कर सके । यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने देहरादून में होने के बावजूद भी कांग्रेस मुख्यालय पहुंच कोई औपचारिकता निभाना भी जरूरी नहीं समझा। हालांकि फ़ेसबुक पर उनकी टीम द्वारा एक लाइन की श्रद्धाजंलि देकर रस्म अदायगी ज़रूर की गई। 
उत्तराखंड कांग्रेस की राजनीति को नजदीक से जानने वालो का मानना है कि प्रीतम सिंह हमेशा मुस्लिम विरोधी रहे हैं और वो किसी भी स्तर पर खुद को मुस्लिमों से दूर दिखाना चाहते हैं।
इस बात की तस्दीक प्रीतम सिंह की टीम और अन्य कमेटियों से मुसलमानों को दूर रखने के प्रीतम सिंह के फैसलों से स्वतः होती है।
गौरतलब हो कि प्रीतम सिह अपने लोकसभा चुनाव के समय भी किसी मुस्लिम छेत्र में नही गए लेकिन एक समुदाय विशेष से दूरी बना उत्तराखंड कांग्रेस जिस वर्ग को साधना चाह रही है वो वर्ग कभी कांग्रेस को वोट नही देता है और लोकसभा निकाय चुनाव ने इस बात को साबित किया है कि वो वर्ग सदैव कांग्रेस के विरोध में ही वोट डालता है।।
देखने वाली बात होगी कि आगामी चुनाव में कांग्रेस को समर्पित समुदाय का वोट प्रीतम सिंह की खिन्नता के कारण किस और जाता है वो भी तब जब प्रदेश में आम आदमी पार्टी और mim की एंट्री भी हो चुकी हैं।।

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