आध्यात्म व व्यवहार के समन्वयक थे सत्यमित्रानन्द गिरी महाराज-CM

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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राघव कुटीर भारत माता जनहित ट्रस्ट, हरिपुर कलां में निवृत्त जगद्गुरू शंकराचार्य पद्मभूषण ब्रह्मलीन पूज्य गुरूदेव स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरिजी महाराज की दिव्य स्मृति में नवनिर्मित समाधि मन्दिर के शिलान्यास कार्यक्रम व श्री सद्गुरूदेव पुण्य स्मृति दर्शन सभागार के लोकार्पण कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।
 श्री सद्गुरूदेव पुण्य स्मृति दर्शन सभागार में स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरिजी महाराज के जीवन से सम्बन्धित दुर्लभ चित्रों, महान हस्तियों की प्रतिमायें, ग्रन्थों व पुस्तकों के संकलन को बड़े ही व्यवस्थित ढंग से प्रत्येक के लिये निर्धारित स्थानों में प्रदर्शित किया गया है। 
इस अवसर पर सहकार्यवाह डॉ0 कृष्ण गोपाल जी मा0 सह सरकार्यवाह, भारत माता मन्दिर एवं समन्वय ट्रस्ट के अध्यक्ष जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरिजी महाराज, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द्र अग्रवाल,  शहरी विकास मंत्री  मदन कौशिक, विशिष्ट जन-प्रतिनिधि उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरिजी महाराज के जीवन से सम्बन्धित संकलित वस्तुओं का अवलोकन किया तथा उन्हें प्रेरणादायी बताया।
 इस अवसर पर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरिजी महाराज ने मुख्यमंत्री  व उपस्थित विशिष्टजनों को अंगवस्त्रम् भेंटकर सम्मानित किया। आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरिजी महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में महाकुम्भ सम्पन्न होगा।
 मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरिजी महाराज प्रेरणादायी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने भारत माता ट्रस्ट मन्दिर की स्थापना की। वह एक बहुत बड़े सन्त थे। उनको शंकराचार्य की उपाधि मिली और उन्होंने उसका परित्याग किया और जो धर्मदण्ड है, उसे उन्होंने मां गंगा को समर्पित किया। वे आध्यात्म व व्यवहार दोनों के समन्वयक थे। आज उनकी याद में स्मृति मन्दिर का शिलान्यास किया गया है, जो युगों-युगों तक हमारे आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देगा।
       

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