हरिद्वार जमीन घोटाले में प्रदेश की धामी सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दो आईएएस और एक पीसीएस अफसर समेत कुल 10 अधिकारियों को सस्पेंड किया है जबकि 2 का सेवा विस्तार समाप्त किया गया है । मामले में तत्कालीन नगर निगम प्रशासक व हरिद्वार के डीएम कर्मेन्द्र सिंह, एसडीएम और पूर्व नगर आयुक्त पर गाज गिरी है।
अब इस पूरे मामले की जांच अब विजिलेन्स करेगी। विजिलेन्स की रिपोर्ट आने के बाद और भी कार्रवाई हो सकती है। सरकार इस घोटाले की तह तक जाना चाहती है और दोषियों को सजा दिलाना चाहती है।
मामला कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त और सस्ती कृषि भूमि को 54 करोड़ रुपये में खरीदने का है। न भूमि की कोई तात्कालिक जरूरत थी, न ही खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती गई। शासन के नियमों को दरकिनार कर इस घोटाले को अंजाम दिया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई और रिपोर्ट मिलते ही तीन बड़े अफसरों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। रिपोर्ट मिलते ही हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी और एसडीएम अजयवीर सिंह को सस्पेंड कर दिया गया। इन तीनों अधिकारियों को वर्तमान पद से हटाया गया है और शासन स्तर पर आगे की विभागीय और दंडात्मक कार्यवाही शुरु कर दी गई है। साथ ही वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, कानूनगों राजेश कुमार, तहसील प्रशासनिक अधिकारी कमलदास, और वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की को भी निलंबित किया गया।
पहले चरण में नगर निगम के प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट और अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को भी सस्पेंड किया गया था।